Details, Fiction and baglamukhi
Details, Fiction and baglamukhi
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देयं शिष्याय भक्ताय पञ्चत्वं चान्यथाऽऽप्नुयात्।
दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई। निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई।।
राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायकः॥ १५ ॥
सर्षप होम करै जो कोई। ताके वश सचराचर होई।।
नवनीतं चाभिमन्त्रय स्त्रीणां दद्यान्महेश्वरि।
वाचं मुखं तथा पादं षड्वर्णाः परमेश्वरी॥ ८ ॥
तत् तत् काममवाप्नोति सप्तरात्रेण शंकरि।
सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम baglamukhi में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।
भूर्जपत्रेष्विदं स्तोत्रमष्टगन्धेन संलिखेत्।
वाराही च उत्तरे पातु नारसिंही शिवेऽवतु।
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना। सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना।।
नव दिन जाप करे जो कोई। व्याधि रहित ताकर तन होई।।
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय।
That means: Oh, Mom Bagalamukhi, I just take refuge in you. Permit my enemy’s speech, toes, and organs be inert and Permit his intelligence be paralyzed to make sure that he does not move further to harm me.